प्रदेश खबर हरपल ब्यूरो
देश/विदेश: भारतीय वायुसेना ने एक साहसी और सटीक अभियान में पाकिस्तान के कई प्रमुख एयरबेस और रडार प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हुए एयर स्ट्राइक की पुष्टि की है। भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी ने आज एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ऑपरेशन की विस्तृत जानकारी दी। यह कार्रवाई पाकिस्तान द्वारा की गई निरंतर सैन्य उकसावे और आतंकी नेटवर्क को संरक्षण देने के आरोपों के चलते की गई है।
एयर स्ट्राइक के मुख्य निशाने:
कर्नल सोफिया कुरैशी के अनुसार, भारत ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया उनमें शामिल हैं —
नूर खान एयरबेस (Rawalpindi के निकट)
रहीमयार खान एयरबेस
रफीकी एयरबेस
मुरीद एयरबेस
सियालकोट एयरबेस
साथ ही दो रेडार और संचार नियंत्रण केंद्र
इनमें से कुछ अड्डे पाकिस्तान की वायुसेना की रणनीतिक रीढ़ माने जाते हैं और इन पर हुए हमलों से पाकिस्तानी हवाई संचार और कमांड नेटवर्क को भारी झटका लगा है।
ऑपरेशन का उद्देश्य:
कर्नल कुरैशी ने बताया कि इस मिशन का लक्ष्य था —
पाकिस्तान के Command and Control Centres को निष्क्रिय करना
रेडार साइट्स और गोला-बारूद डिपो को नष्ट करना
सियालकोट एविएशन बेस पर विशेष स्मार्ट प्रिसिशन हथियारों से सटीक हमला करना
पाकिस्तानी नुकसान की प्रारंभिक जानकारी:
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को इस हमले में गंभीर सामरिक और तकनीकी क्षति हुई है। रहीमयार खान और सियालकोट में ईंधन भंडारों के नष्ट होने से पूरे पाकिस्तानी वायुबल में ईंधन संकट की स्थिति बन गई है। वहीं रडार नेटवर्क को क्षतिग्रस्त किए जाने से पाकिस्तान की सीमा निगरानी प्रणाली पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
भारत की ओर से स्पष्ट संदेश:
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस ऑपरेशन को एक “रोकथामात्मक और आत्मरक्षा की कार्रवाई” करार दिया है। सरकार के उच्च सूत्रों के अनुसार यह मिशन एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिक सुरक्षा के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
इस घटना के बाद पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस हमले ने इस्लामाबाद की सुरक्षा व्यवस्था में हड़कंप मचा दिया है। कई सोशल मीडिया रिपोर्ट्स और पाकिस्तानी मीडिया चैनलों पर भी ईंधन संकट और हवाई क्षेत्र में अघोषित आपात स्थिति की खबरें आने लगी हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के इस कदम को “सटीक और सीमित सैन्य कार्रवाई” माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कूटनीतिक हलचलों में तेजी देखी जा रही है।
यह ऑपरेशन न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक माना जा रहा है। भारत ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि वह अपने नागरिकों और सीमाओं की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।