प्रदेश में 10 वर्ष तक तदर्थ व संविदा कर्मी के रूप में सेवा देने वाले कर्मचारी नियमित हो सकेंगे।

उत्तराखण्ड में 10 वर्ष तक तदर्थ व संविदा कर्मी के रूप में सेवा देने वाले कर्मचारी नियमित हो सकेंगे। कैबिनेट के इस निर्णय से सरकारी विभागों निगमों परिषदों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में 10 वर्ष तक लगातार कार्य करने वाले तदर्थ व संविदा कर्मियों के नियमित होने की राह खुल गई है। अब कार्मिक विभाग नियमावली से लाभान्वित होने वालों की कट आफ डेट तय करेगा ।
कैबिनेट के समक्ष रखे इस प्रस्ताव पर बैठक में गहन चर्चा हुई। ज्यादातर मंत्री इस बात के पक्षधर थे कि आज की तिथि तक जितने भी अस्थायी कर्मचारी हैं (जो नीति के तहत 10 साल की सेवा पूरी कर चुके हैं)
सरकार उन्हें नियमित कर दे। सूत्रों के मुताबिक, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ। अलबत्ता मुख्यमंत्री ने कार्मिक एवं न्याय विभाग को इस प्रस्ताव पर न्यायिक व विधिक परामर्श लेने के निर्देश दिए। कर्मचारियों के प्रति सरकार का रुख काफी नरम माना जा रहा है।
इस नीति के अनुसार प्रदेश में 10 वर्ष तक तदर्थ व संविदा कर्मी के रूप में सेवा देने वाले कर्मचारी नियमित हो सकेंगे।

अब कार्मिक विभाग नियमावली से लाभान्वित होने वालों की कट आफ डेट तय करने के साथ ही यह तय करेगा कि नियमावली को मौजूदा परिप्रेक्ष्य में किस तरह से लागू किया जाए। सीएम धामी की कैबिनेट के इस निर्णय से सरकारी विभागों, निगमों, परिषदों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में 10 वर्ष तक लगातार कार्य करने वाले तदर्थ व संविदा कर्मियों के नियमित होने की राह खुल गई

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